लघु काशी ‘गढ़ा’ प्राचीन काल से गोंडवाना साम्राज्य की ऐतिहासिक धरोहर है। यहां पर अनेक
प्राचीन स्मारक एवं सिद्ध मंदिर हैं जो संतों, तपस्वियों विद्वानजनों के पुण्य प्रतापों
से गढ़ित है। इसके दक्षिण में माँ बृम्हचारिणी नर्मदा के पावन तट पर विराजित हैं जिनकी
निर्मल कृपा से समस्त भक्तों कल्याण हो रहा है। जाबालि ऋषि की तपोस्थली जाबालीपुरम
के मध्य स्थित गढ़ा के केन्द्र में प्राचीन काल से स्थित है ‘हनुमानबाग’ |
बाग की महिमा का वर्णन कर पाना एक अद्वितीय परिकल्पना है जहां प्रभु कृपा के
नित्य, चमत्कार देख रहा हूं। जो भक्त इस दर पर आए, प्रभु चरणों में अपनी कष्ट बाधा
हेतु प्रार्थना की, प्रभु ने उनको कभी भी निराश नहीं किया अपितु उनके कर्मों के अनुसार
उन्हें फल प्रदान किया। पावन धरा हनुमान बाग स्वयं सिद्ध स्थल है, जहां पूर्वमुखी विप्रवर्ण
श्री अंजनी नन्दन हनुमान जी भक्तों पर अपनी अमृत, करुणामयी, कृपादृष्टि रख उनके कष्टों
का हरण कर उन्हें सुख प्रदान करते हैं। अनेक दिव्य चमत्कारों का दर्शन एवं अनुभव मैंने
प्रभु कृपा पात्र भक्तों ने स्वयं किया है। मैं तो अपने आप को धन्य मानता हूं जो प्रभु
ने मुझे इस पावन भूमि में दर्शन एवं अपने चरणों में सेवा का अवसर प्रदान किया है।
एक
दिन मंदिर परिसर में ही श्री राम भक्त हनुमान जी की अभिप्रेरणा से श्री रामराजा के
राजदरबार की स्थापना का विचार आया। प्रभु कृपा से 27 नवंबर 2007 को इसके भूमि पूजन
के साथ सम्पूर्ण राम दरबार की स्थापना का संकल्प लिया। श्री राजा राम की दिव्य छवि
में जब प्रभु 14 वर्षों का वनवास पूर्ण कर पावनपुरी अयोध्या वापस आए, ग्रामवासियों
ने प्रभु के पावन दर्शन किए और राजतिलक की तैयारी की और वह पवित्र शुभ दिवस आया जब
प्रभु श्री राम अयोध्या के राज सिंहासन पर विराजित हुए।
श्री राजा राम दरबार में प्रभु
श्री राम के संग में जगत जननी माता सीता वाम में विराजी एवं प्रभु के दायें ओर भरत
जी विराजमान हुए। भगवान श्री राम के सिंहासन के बायीं ओर लक्ष्मण जी तथा चरणों मे दायीं
ओर श्री हनुमान जी तथा चरणों में बायीं ओर शत्रुघ्न जी, पीठ में बायीं ओर श्री गणेश
जी, शिवजी तथा पीठ में दायीं ओर ब्रम्हा जी, वशिष्ठ जी तथा देवर्षि नारद जी सुशोभित
हुए। श्री राम राज्याभिषेक के उस क्षण के मनोहारी दृश्य को मूर्ति छवि का साकार रूप
श्री राजराम दरबार में देख कर दर्शन की अभिलाषा पूर्ण हुई। भगवान श्री राजारामचंद्र
जी की असीम कृपा एवं भक्तों के अद्वितीय सहयोग, श्रृद्धा एवं समर्पण से 29 मार्च 2015
को श्री राजाराम दरबार की स्थापना का संकल्प पूर्ण हुआ। यह अतिशयोक्ति नहीं होगी कि
संभवतः हनुमान बाग में विराजित श्री राजाराम दरबार भारत वर्ष में पहला सम्पूर्ण राम
दरबार है। आप सभी भक्त हनुमान बाग मंदिर में आकार मनोहारी श्री राजराम दरबार का दर्शन
करें एवं पुण्य लाभ प्राप्त करें।
“प्रभु कि कृपा भयहु सब काजू।
जन्म हमार सुफल भा आजू ।।“
बोलिए श्री राजरामचन्द्र की जय .........