Introduction
श्री गणेशाय नमः
श्री श्री 1008 श्री बाबा मठारदेवजी की महिमा
लगभग 300 वर्ष पूर्व
श्री बाबा मठारदेवजी ने सतपुड़ा पर्वत के शिखर पर स्थित गुफा में रहकर भगवान शिव की
आराधना की जिससे देवाधिदेव महादेव प्रसन्न हुए एवं श्री बाबा को दर्शन देकर श्री बाबा
के तप को पूर्ण किया तथा वरदान दिया कि आज से तुम इस पर्वत के मठाधीश कहलाओगे एवं जो
भक्त श्रद्धापूर्वक भगवान शिवजी की पूजा अर्चना करेंगे उनकी मनवांछित कामना आपके माध्यम
से पूर्ण होंगी।
श्री मठारदेवजी की अदभुत योग शक्ति व तपोबल से यह बीहड़ वन क्षेत्र
कोयला एवं ऊर्जा के क्षेत्र में विख्यात हुआ। एक बार मकर संक्रांति के दौरान श्री बाबा
मठारदेवजी ने शिखर मंदिर पर स्थित गुफा में समाधि लगाकर शिव पंचाक्षरी मंत्र ओम नमः
शिवाय का अखण्ड जाप किया तब श्री बाबा के भक्त कड़कड़ाती ठंड में बाहर बैठकर सारी रात
भजन कीर्तन कर श्री बाबा के दर्शनों के लिए प्रतीक्षा करते रहे किन्तु प्रातःकाल तक
श्री बाबा गुफा से बाहर नहीं आए तब गुफा के अन्दर जाकर भक्तों ने पाया कि जहां बाबा
आराधनारत् थे वहां पर खुशबू फैली हुई है एवं पुष्पों का समूह केवल मात्र वहां था। बाबा
अर्न्तध्यान हो गए थे। श्री बाबाजी ने शिखर पर जिस गुफा में रहकर कठोर तप किया था कलांतर
में वह लुप्त हो गई है, जहां पर श्री बाबा के भक्तों ने विशाल मंदिर का निर्माण किया
है। श्री बाबाजी के चमत्कारों से क्षेत्र के लोग अभिभूत हैं इस पर्वत की 3000 फीट ऊंची
चोटी एवं तलहटी पर स्वादिष्ट जल का विपुल भंडार है एवं इस जल के सेवन से अनेक शारीरिक
व्याधियों से मुक्त होना प्रमुख है। यहां प्रतिवर्ष (12 जनवरी से 22 जनवरी तक) मकर
संक्रांति के पावन पर्व पर 11 दिवसीय मेला तथा विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है,
जिसमें सभी धर्मों के लाखों श्रद्धालु बाबा के दर्शन करने शिखर पर पहुंचते हैं। शिखर
मंदिर तक प्रकाश एवं पेयजल व्यवस्था नगरपालिका परिषद, मठारदेव मेला समिति तथा मध्यप्रदेश
पावर जनरेटिंग कंपनी सारणी के संयुक्त प्रयास से अनवरत् रहती है। श्री बाबाजी के आशीर्वाद
से सभी भक्तों के मनोरथ पूर्ण होते हैं। जय बोलो बाबा मठारदेवजी की जय विनीत श्री बाबा
मठारदेव मेला समिति एवं नगरपालिका परिषद सारणी, जिला बैतूल (म.प्र.)