श्री खेड़ापति हनुमान जी के बारे में

शिलान्यास से शिखर तक

श्री खेड़ापति हनुमान मंदिर की निर्माण कथा

न्यू मार्केट के बीचोंबीच व्यस्थ बाजार में जहां साइकल स्टैण्ड था वहां कभी किसी ने कल्पना नहीं की होगी कि श्री खेड़ापति हनुमान जी का विराट मंदिर स्थापित होगा जो नए भोपाल की हिन्दू आस्थाओं के केंद्र के रूप में परिवर्तित हो जाएगा।

न्यू मार्केट की सब्जी मंडी वाला क्षेत्र सुव्यवस्थित बसावट वाली जगह नहीं थी। पूरी जगह ऊबड़खाबड़ थी जिसमें सन् 1965-70 के बीज एक छोटे से मंदिर का निर्माण (पुरानी उपकार लाज के पीछे) हुआ। परन्तु उस समय के तत्कालीन नगर निगम के प्रशासक श्री एम.एन. बुच ने उसे स्थापित नहीं होने दिया तथा देहली स्वीट हाऊस के सामने मैदान पर भी यह कोशिश की गई पर वह भी बेकार साबित हुई। इस बीच व्यापारी दुर्गा उत्सव समिति द्वारा नवरात्रि पर भव्य आयोजन प्रारंभ हुए। उसके आयोजकों सुभाष बड़कुर, बसंत पिसाल, ओम प्रकाश अग्रवाल व अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं के मन में इस क्षेत्र में एक मंदिर स्थापित करने की बात आई और सभी लोगों संकल्प लिया कि इस क्षेत्र में मंदिर स्थापित करकें रहेंगे तथा स क्षेत्र के वरिष्ठ नागरिक श्री पी.सी. नंदा, आर.डी. शुक्ला, अरुण पाराशर, श्री कैलाश राठौर, मोहन माहेश्वरी आदि सभी श्रद्धालुगण मंदिर स्थापित करने के लिए प्रयासरत हो गए। मंदिर स्थापना के प्रमुख सूत्रधार श्री सुभाष बड़कुर, बसंत पिसाल, ओम प्रकाश अग्रवाल के साथ ही इन महानुभावों का मंदिर स्थापना के इतिहास में अपना विशिष्ट स्थान रहेगा एवं श्रद्धालु जनता इन्हें हमेशा मंदिर की स्थापना एवं निर्माण के लिए याद रखेगी।

इन लोगों ने सुनियोजित ढंग से मंदिर स्थापना के लिए मंत्री से संत्री के साथ ऐसा तालमेल बिठाया और उस समय के मुख्य सचिव, पुलिस महानिरीक्षक, पुलिस अधीक्षक, जिलाध्यक्ष, मुख्यमंत्री, सांसद विधायक, सामाजिक कार्यकर्ताओं आदि से संपर्क एवं मंदिर स्थाना की रूपरेखा की चर्चा करते चले गए जिसका परिणाम धीरे-धीरे गति लेने लगा तथा न्यू मार्केट में मंदिर स्थापना की चर्चा चुपचाप तय की गई तथा गणेश उत्सव शुरू होने के साथ मंदिर स्थापना वाली जगह पर गणेशजी की झांकी लगवाई। झांकी लगाने में श्री कैलाश राठौर, श्री पाराशर, श्री मुन्नालाल बनारसी आदि ने सहयोग दिया तथा गणेश विसर्जन के पूर्व गणेशजी की झांकी के पीछे चबूतरे का निर्माण डोल ग्यारस के दिन करवाया गया जिसमें पी.सी. नंदा, ब्रजभूषण गोयल, मोहन सिंहल, सुभाष बड़कुर, बसंत पिसाल, ओमप्रकाश अग्रवाल, मोहन माहेश्वरी, आर.डी. शुक्ला एवं अन्य भक्तगणों का सराहनीय सहयोग रहा। इस प्रकार लोग उक्त स्थान पर चबूतरा बनाने में सफल रहे। इसके बाद सभी लोगों ने अपने-अपने स्तर पर भोपाल की प्रमुख हस्तियों से संपर्क किया जिसमें उस समय की सांसद श्रीमती विद्या चतुर्वेदी जिन्होंने मुख्यमंत्री श्री अर्जुन सिंह जी से इस मंदिर स्थापना की बात बड़े रोचक ढंग से कही कि एक मंदिर ठाकुर गोविंद नारायण सिंह जी जब मुख्यमंत्री थे तब छोटे तालाब में स्थापित हो रहा है इसके अलावा श्री नरसिंह राव दीक्षित जी ने भी पुलिस महानिरीक्षक एवं एस.पी. से मंदिर स्थापना के बारे में बातचीत करके हम लोगों की मदद की। इसी तरह 25वीं वाहिनी के कमांडेंट ने उस समय के कलेक्टर श्री विजय सिंह जी से मंदिर स्थापना की गुफ्तगू कर हमें सहयोग दिया। इन सबके अलावा जबलपुर के विधायक श्री दिनेश मिश्रा ने मंदिर स्थापना के लिए करीबन 150 विधायकों को इसके पक्ष में करने का सहयोग दिया। सभी श्रद्धालुओं के सहयोग के कारण हम गणेशजी के विसर्जन वाले दिन अनंत चतुर्दशी के दिन अनंत महाबली श्री हनुमानजी की मूर्ति की स्थापना सुबह ब्रह्म मुहूर्त में श्री खटलापुरा वाले पंडितजी के कर कमलों द्वारा पूरे विधि विधान के साथ करने में सफल हुए तथा मूर्ति स्थापना के बात उस मूर्ति की पूजा-अर्चना के साथ आरती की गई। मूर्ति स्थापना के बात हम सभी लोग मन में अदृश्य भय की आशंका के साथ अपने-अपने घर चले गए। हम लोगों के मन में यह भय व्याप्त था कि कहीं ऐसा न हो कि हर बार की तरह इस बार भी मंदिर का हटा दिया जाए। परन्तु हम लोगों के द्वारा पिछले कई महीनों के अथक प्रयास, सम्पर्क एवं नगर के प्रमुख लोगों द्वारा दिए गए सहयोग से इस मंदिर की आधारशिला स्थापना को स्थायित्व मिला तथा जब भगवान देता है तो छप्पड़ फाड़कर देता है, वाली कहावत मंदिर स्थापना के कुछ दिन बात चरितार्थ हो गई। जब शहर में ज्योतिष्पीठ एवं द्वारिकापीठ के शंकराचार्यों का आगमन हुआ जिसमें समिति के सदस्यों के साथ श्री कैलाशचंद्र पंत के अथक प्रयासों से दोनों शंकराचार्यों से संपर्क कर मंदिर में दर्शन करने की रूपरेखा बनाई और उन्हें मंदिर में आने का निमंत्रण दिया। जिसे दोनों शंकराचार्यों ने स्वीकार किया।

मंदिर में सामने दोनों शंकराचार्यों के आने के कारण पदिका पूजन एवं उनके प्रवचन का भव्य आयोजन श्री कैलाशचंद्र पंत के मार्गदर्शन में किया गया तथा सबसे पहले द्वारका के शंकराचार्य ब्रह्मलीन स्वामी अभिनव सच्चिदानंद जी तीर्थ ने मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति पर माला चढ़ाई जिसके कारण हिन्दुओं के बड़े धर्माचार्यों का संरक्षण प्राप्त हुआ। बाद में शासन ने भी इसे मान्यता देकर इस भूमि का पट्टा समिति को देने की बात स्वीकार की। परन्तु उस समय के तत्कालीन स्वायत्य शासन मंत्री श्री सेठ ने इस मंदिर को मात्र अतिक्रमण समझा और श्री शंकराचार्यों की उपस्थिति में भी इस मंदिर के अंदर न जाकर मूर्ति को माला भी नहीं पहनाई। जिसकी परिणति यह हुई कि सुरेश सेठ तभी से राजनीतिक वनवास भोग रहे हैं। यह चमत्कारिक शक्ति खेड़ापति हनुमानजी की मूर्ति में है। मंदिर स्थापना के समय श्री राव साहब नगर निगम के प्रशासक थे उन्होंने कहा कि आप लोगों ने अतिक्रमण कर इस जगह पर मंदिर बना डाला जहां नगर निगम का एक बड़ा फब्वारा बनाना चाहता था। परन्तु नियमित में फव्वारा की जगह श्री खेड़ापति हनुमानजी को स्थापित होना था अतः फव्वारा वहां कैसे बन सकता था। उस समय के तत्कालीन विधायक श्री सत्यनारायण अग्रवाल जी ने भी इस मंदिर की स्थापना एवं उसे स्थायित्व प्रदान करने में पूरा सहयोग दिया जिसका फल उन्हें मंत्री पद के रूप में मिला एवं उनके स्थानीय शासन मंत्री के काल में इस मंदिर को शासन की मान्यता एव पट्टे की घोषणाएं हुईं।

मंदिर को शासन की मान्यता एवं पट्टे मिलने की घोषणा के साथ इस मंदिर की पृष्ठभूमि पूर्ण हुई अब इसके भव्य निर्माण के चरण की योजनाएं प्रारंभ हुई जिसमें इस क्षेत्र के सभी छोटे-बड़े व्यापारियों ने ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी सरस्वती की पादुका-पूजन के समय मुक्त हस्त से दान देकर रातों-रात मंदिर की चार दीवारी बनवाई तथा बाद में भव्य मंदिर बनवाने की पूष्ठभूमि की मानसिक तैयारी पूरी हो गई तथा इसकी एक अनौपचारिक समिति बनाई गई जिसके श्री पी.सी. नंदा अध्यक्ष, श्री सुभाष बड़कुर महामंत्री, श्री ओमप्रकाश अग्रवाल कोषाध्यक्ष तथा श्री बसंत पिसाल, श्री आर.डी. शुक्ला, श्री बनवारी लाल अग्रवाल, श्री गोविन्दास गौड़, श्री मुन्नालाल बनारसी, श्री कैलाश राठौर, श्री मोहन माहेश्वरी सदस्य घोषित किए गए। विशेष आमंत्रितों में श्री खेमचंद जी, श्री इंदर चक्की वाले श्री ओम मेहता, श्री मोहरीलाल जी अग्रवाल को रखा गया। इस समिति को मंदिर के भव्य निर्माण की योजना बनाने, समिति को रजिस्टर्ड करवाने, शासन से मंदिर की भूमि का पट्टा लेन आदि संबंधित कार्य करने का दायित्व सौंपा गया।

सुभाष बड़कुर
सचिव श्री खेड़ापति हनुमान मंदिर ट्रस्ट