चमत्कारिक श्री हनुमान मंदिर जाम सांवली भारत वर्ष के प्राचीन क्षेत्र मध्य प्रान्त में दण्डकारण्य-सतपुडा मैकल पर्वत श्रृंखलाओं के मध्य जाम नदी एवं सर्पा नदी के संगम स्थल पर ग्राम सांवली में पीपल वृक्ष की छांव में ‘‘स्वयं भू‘‘ श्री हनुमान जी बिराजमान है जो नागपुर से उत्तर दिषा में 66 कि0मी0 नागपुर-छिन्दवाडा रोड पर बजाज जोड चैक से 1.5 कि0मी0 पर स्थित हैं। जहां पर सडक मार्ग से सुगमता से पहुंचा जा सकता हैं तथा रेल मार्ग भी सौंसर शहर तक उपलब्ध हैं। चमत्कारिक श्री हनुमान मंदिर जाम सावली श्रध्दा और आस्था का केन्द्र है, जहाॅ सच्चे मन से आने वाले श्रध्दालुओं की मनोकामना पूर्ण होती हैं। स्वंयभू श्री हनुमान जी लेटी हुई अवस्था में बिराजमान हैं। स्वंयभू श्री हनुमान जी की मूर्ति कब और किसने स्थापित की है, इसका कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं।मान्यतानुसार स्वंयभू श्री हनुमान स्वयं प्रकट हुए हैं। राजस्व अभिलेख में 100 वर्ष पूर्व मंदिर के इतिहास में पीपल के वृक्ष के नीचे श्री महावीर हनुमान का उल्लेख मिलता हैं। बुजुर्ग ग्रामीण जनों की आस्था के अनुसार स्वंयभू श्री हनुमान जी की मूर्ति पूर्व में सीधी अवस्था में खडी हुई थी, कुछ लोगों के द्वारा मूर्ति के नीचे गुप्त धन छिपा होने के संदेह के कारण मूर्ति को हटाने की कोषिष की, तब श्री हनुमान जी की प्रतिमा स्वतः लेट गई और 20-20 घोंडों और बैलों से खीचने पर भी मूर्ति को हिला नही सके। पौराणिक कथाओं और मान्यताओं के अनुसार रामायण काल में भगवान श्रीराम रावण से युध्द के दौरान शेषनाग के अवतार लक्ष्मणजी को शक्ति बाण की मूच्र्छा हुई तब संजीवनी बूटी का सुमेरू पर्वत को हिमालय पर्वत से लेकर जा रहे थे तब जाम सावली स्थित पीपल के पेड के नीचे विश्राम हेतु रूकने की भी जन कथाएं प्रचलन हैं।